गोरखपुर4 घंटे पहले
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पहले फोटो अमरमणि त्रिपाठी की, दूसरी में रोती हुईं मधुमिता की बहन निधि, तीसरी में पूर्व मंत्री की रिहाई का जश्न मनाते उनके समर्थक और चौथी में कवयित्री मधुमिता शुक्ला है।
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में 20 साल से सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि शुक्रवार शाम करीब साढ़े 7 बजे रिहा हो गए। अमरमणि और उनकी पत्नी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड नंबर-16 में भर्ती थे।
अमरमणि की रिहाई की खबर मिलते ही उनकी कर्मभूमि महाराजगंज के नौतनवा विधानसभा कार्यालय पर लोगों ने जमकर खुशी मनाई। इस दौरान एक-दूसरे को मिठाई खिलाने के साथ ही आतिशबाजी भी की गई। कार्यकर्ताओं ने कहा, ”पूर्वांचल का शेर आ रहा है। अब एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो जाएंगी।”
दूसरी तरफ, मधुमिता की बहन निधि शुक्ला के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। उनका तो यहां तक कहना है कि मेरा दुर्भाग्य है, जो यूपी में मैंने जन्म लिया। अगर जिंदा बची, तो लड़ाई लड़ती रहूंगी। उन्होंने अमरमणि की रिहाई पर कई सवाल भी खड़े किए।
- खबर में आगे बढ़ने से पहले खुशी और गम की 2 फुटेज देखिए
यह फुटेज अमरमणि की कर्मभूमि महाराजगंज के नौतनवा विधानसभा कार्यालय की है। अपने नेता की रिहाई की खबर मिलते ही लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई।
यह सुबह दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के बाहर की फुटेज है। जैसे ही SC ने अमरमणि की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार किया, मधुमिता की बहन निधि फूट-फूटकर रोने लगीं।
जेलर अस्पताल लेकर पहुंचे रिहाई का परवाना
अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई का परवाना शुक्रवार सुबह पहले जेल पहुंचा। फिर उसे लेकर जेलर अरुण कुमार खुद बीआरडी मेडिकल कॉलेज गए। इसके बाद दोनों को 25-25 लाख के मुचलके पर रिहा कर दिया गया। हालांकि रिहाई के बाद भी अभी पति-पत्नी अस्पताल में ही रहेंगे।
इससे पहले शुक्रवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने उनकी रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, कोर्ट ने UP सरकार को नोटिस जारी कर 8 हफ्ते में जवाब मांगा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही परिसर में मधुमिता की बहन निधि शुक्ला फूट-फूटकर रोने लगीं। मधुमिता के घर के बाहर पुलिसकर्मी भी तैनात कर दिया गया।
जेलर अरुण कुमार खुद परवाना लेकर BRD पहुंचे। उनके साथ सफेद कुर्ते में अमरमणि के बेटे अमनमणि त्रिपाठी हैं।
जेल में नहीं, ज्यादातर वक्त मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहे अमरमणि
अमरमणि और उनकी पत्नी कहने को तो जेल में रहे, लेकिन उनका ज्यादातर वक्त गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीता। जब से सजा हुई दोनों ज्यादातर बीमार रहे। मधुमिता की बहन निधि का भी कहना है कि अमरमणि ने अपनी सजा का 60 फीसदी हिस्सा अस्पताल में गुजारा।
दरअसल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड की दूसरी मंजिल पर 32 कमरे हैं। इसमें ऊपरी हिस्से के 16 नंबर कमरे में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि एडमिट रहे हैं। वार्ड के सभी कमरों के ऊपर नंबर लिखा है। लेकिन कमरा नंबर 15 के बाद सीधे 17 नंबर का कमरा आ जाता है।
जिस कमरे में अमरमणि रहे हैं, उस पर 16 नंबर नहीं लिखा। यह कमरा सीढ़ियों से सटा है। कमरे के बाहर पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। इसके साथ ही अमरमणि के अपने आदमी भी रहते हैं। ये लोग किसी भी आने-जाने वाले पर निगाह रखते हैं।
अमरमणि त्रिपाठी के मामले में जेल प्रशासन से लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन कुछ बोलने को तैयार नहीं होता था। सवाल करने पर कहा जाता था कि बिना ऊपर से आदेश के हम कोई जानकारी नहीं दे सकते।
BRD के सभी कमरों के ऊपर नंबर लिखा हुआ है। लेकिन कमरा नंबर 15 के बाद 17 नंबर का कमरा आ जाता है। क्योंकि 16 में लंबे वक्त से अमरमणि भर्ती रहे हैं।
मधुमिता की बहन निधि बोलीं- 20 साल से दौड़ रहे, परेशान न हों तो क्या करें?
शुक्रवार को कोर्ट परिसर में जब निधि रोने लगीं, तो आसपास के लोगों ने उनको दिलासा देने की कोशिश की। इस पर निधि ने रोते हुए कहा, “20 साल से दौड़ रहे थे। सीबीआई, सीबीसीआईडी, सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सब कुछ हो गया। आज तक न्याय नहीं मिला। कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी, लेकिन सरकार कभी भी अमरमणि को जेल ही नहीं भेज पाई।”
उन्होंने कहा, “आरटीआई से जो मेरे पास कागज थे। दो महीने से सबको भेज रही हूं। चाहे मुख्यमंत्री हों, गवर्नर साहब हों, राष्ट्रपति हों। सबसे कहा कि यह आरटीआई के सरकारी कागज हैं। अमरमणि आपसे झूठ बोलता है। भ्रमित कर रहा है।”
अमरमणि की रिहाई के आदेश के बाद मधुमिता की बहन निधि शुक्ला का वीडियो बयान सामने आया है। इसमें रिहाई पर रोक लगाने की मांग की है।
निधि ने कहा, “वो कह रहा है कि मेरी सजा माफ कर दी जाए। जब वह जेल ही नहीं गया तो सजा माफी की बात कहां से आ गई? अभी 15 अगस्त को हमने फिर सबको लेटर भेजे। 24 अगस्त की रात में अचानक रिहाई का आदेश आ जाता है कि अमरमणि को रिहा किया जाता है। आपके पास तो सारे कागज हैं। फिर आप झूठ क्यों बोलते हैं? अब हम सुप्रीम कोर्ट चले आए। अब इन्हीं से उम्मीद है कि कम से कम रिहाई पर रोक लगा दो। मेरे पास जो कागज हैं, वह साबित करते हैं कि अमरमणि का चाल-चलन अच्छा नहीं हैं। मेरी गुजारिश है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला न आ जाए तब तक अमरमणि को रिहा न किया जाए।”
चलिए, पूरे मामले को सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं…
पेपर मिल कॉलोनी के इसी घर में मधुमिता की हत्या हुई थी। आज यह घर पूरी तरह से खंडहर नजर आ रहा है।
अमरमणि और उनकी पत्नी की समय से पहले रिहाई हुई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों की रिहाई पर विचार करने को राज्य सरकार को सलाह दी थी। इसके बाद अमरमणि ने अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सरकार को 10 फरवरी, 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर फिर अमरमणि की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई।
18 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा था कि उनकी उम्र 66 साल होने, करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो, तो रिहाई कर दी जाए।
जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर की तरफ से आदेश जारी हुआ कि दो जमानत और उतनी ही धनराशि का एक निजी मुचलका देने पर उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाए। इसके बाद अब शासन की ओर से अमरमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया था।
यह 24 अगस्त को जारी हुआ आदेश है।
वहीं, अमरमणि की रिहाई के आदेश के बाद मधुमिता की बहन निधि शुक्ला का एक बयान सामने आया था। इसमें उन्होंने कहा था, “राज्यपाल के आदेश पर मुझे बहुत हैरानी हुई। क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार और राज्यपाल को 15 दिन से बराबर हम सूचना दे रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हमारी याचिका स्वीकार हो चुकी है। 25 तारीख को 11 बजे सुनवाई है। मुझे लगता है कि राज्यपाल को भ्रमित कराकर रिहाई का आदेश करवाया गया है। मेरी प्रार्थना है कि हमारी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश जब तक नहीं आता, तब तक रिहाई पर रोक लगा देनी चाहिए।”
अमरमणि की रिहाई के आदेश बाद मधुमिता की बहन निधि ने यह नोट मीडिया में जारी किया था।
अफेयर से हत्या तक की कहानी
ये तस्वीर कवयित्री मधुमिता शुक्ला की है। उनकी हत्या के मामले में अमरमणि जेल में बंद थे।
कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में नाम आने के बाद अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक जीवन खत्म हो गया था। लखीमपुर की कवयित्री मधुमिता वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। अमरमणि संपर्क में आए, तो उनका नाम बड़ा हो गया। मंच से मिली शोहरत और सत्ता से नजदीकी ने उन्हें पावरफुल बना दिया।
अमरमणि त्रिपाठी से उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए। इसके चलते मधुमिता प्रेग्नेंट हो गई। उन पर गर्भपात करवाने का दबाव बढ़ा, पर उन्होंने नहीं करवाया। लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई, 2003 को 7 महीने की गर्भवती कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
अमरमणि उस वक्त बसपा सरकार में मंत्री थे
हत्याकांड के वक्त बसपा की सरकार थी और अमरमणि मंत्री थे। इस हत्याकांड से उत्तर प्रदेश में सियासी भूचाल आ गया। मधुमिता के परिवार की तरफ से दाखिल की गई FIR में अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, भतीजे रोहित मणि त्रिपाठी, संतोष राय और पवन पांडे को आरोपी बनाया गया। प्रदेश में बसपा सरकार थी और अमरमणि त्रिपाठी मंत्री थे। CBCID ने 20 दिन की जांच के बाद मामला CBI को सौंपा। गवाहों से पूछताछ हुई, तो दो गवाहों ने बयान बदल लिए।
सजा दिलाने सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी मधुमिता की बहन
अमरमणि को सजा दिलाने के लिए मधुमिता की बहन निधि सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं। उन्होंने याचिका दायर करते हुए केस को लखनऊ से दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की। कोर्ट ने 2005 में कैसे उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया। 24 अक्टूबर, 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने पांचों लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। अमरमणि त्रिपाठी नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन सजा बरकरार रही।
- हर बदलती सत्ता में कायम रखा अमरमणि का रसूख
अमरमणि 2001 में भाजपा सरकार में मंत्री रहे। बाद में वह बसपा में आ गए और 2003 में वो बसपा सरकार में मंत्री थे।
- अमरमणि त्रिपाठी के राजनीतिक करियर की शुरुआत विधायक हरिशंकर तिवारी के साथ हुई थी।
- 2001 में अमरमणि त्रिपाठी भाजपा सरकार में मंत्री थे।
- मुलायम सरकार में सपा के साथ रहे। इसके बाद बसपा के हो गए।
- अमरमणि त्रिपाठी लगातार 6 बार विधायक रहे। जेल से चुनाव जीतने वाले वह पहले नेता थे।
मधुमिता हत्याकांड में अमरमणि को सजा दिलवाने के लिए उनकी बहन निधि ने लंबी लड़ाई लड़ी।
कौन थीं मधुमिता शुक्ला
- लखीमपुर खीरी की कवयित्री जो वीर रस की कविताएं पढ़ती थी।
- मई 2003 में लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
- पोस्टमॉर्टम में 7 महीने की प्रेग्नेंट होने का पता चला था।
- DNA जांच में पता चला कि पेट में पल रहा बच्चा अमरमणि त्रिपाठी का था।
- इससे अमरमणि और मधुमिता शुक्ला के संबंध खुलकर सामने आ गए थे।
जानिए, मधुमिता हत्याकांड के बारे में
- अमरमणि की पत्नी मधुमणि त्रिपाठी भी हत्या की साजिश में शामिल थीं।
- इस हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रही है। पति-पत्नी दोनों ही जेल भेजे गए।
- देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट के पास यह केस रहा।
- मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला लगातार इस केस में डटी रही।
- फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई।
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चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता अमरमणि त्रिपाठी एक बार फिर से चर्चा में हैं। बस्ती जिले में चल रहे एक 22 साल पुराने मामले में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के हाजिर न होने पर कोर्ट ने सवाल किए हैं। बस्ती की MP-MLA कोर्ट के न्यायाधीश प्रमोद गिरी ने अमरमणि के स्वास्थ्य की रिपोर्ट के लिए CMO गोरखपुर को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया है। पढ़िए पूरी खबर…
जिस कमरे में अमरमणि, वह अस्पताल से ही गायब!
चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता अमरमणि त्रिपाठी का दबदबा अभी भी कायम है। यह हम नहीं, बल्कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कमरे के बाहर की गली का माहौल बता रहा है। अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी कहने को तो जेल में हैं, लेकिन असल में, उनकी जिंदगी गोरखपुर के अस्पताल में कट रही है। जब से सजा हुई दोनों बीमार हैं, और इलाज करा रहे हैं…(पूरी खबर पढ़ें)