एस. जयशंकर बोले- भारत-कनाडा के रिश्ते मुश्किल दौर में: वीजा सर्विस शुरू करेंगे, लेकिन डिप्लोमेट्स की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता

4 मिनट पहले

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कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव-2023 के समापन समरोह पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की। - Dainik Bhaskar

कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव-2023 के समापन समरोह पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की।

कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव-2023 के समापन समरोह पर सोमवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रही जंग के बारे में चर्चा की। इसके साथ ही एस. जयशंकर ने भारत-कनाडा के बीच चल रहे तनाव के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि कनाडा के साथ हमारे रिश्ते अभी कठिन दौर से गुजर रहे हैं। विदेश मंत्री ने वीजा सर्विस दोबारा शुरू करने के भी संकेत दिए हैं। दरअसल, कनाडा ने भारत सरकार पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या करवाने का आरोप लगाया था। इसके बाद भारत ने कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करने पर रोक लगा दी है।

एस. जयशंकर की 3 बड़ी बातें पढ़िए …

1. कनाडा के साथ रिश्ते अभी कठिन दौर से गुजर रहे
एस. जयशंकर ने कहा कि भारत-कनाडा के रिश्ते अभी कठिन दौर से गुजर रहे हैं। हमारी समस्या कनाडा की राजनीति के कुछ हिस्सों से हैं। अभी लोगों की सबसे बड़ी चिंता वीजा को लेकर है। कुछ हफ्ते पहले हमने कनाडा में वीजा जारी करना बंद कर दिया था, क्योंकि हमारे राजनयिकों के लिए वीजा जारी करने के लिए काम पर जाना सेफ नहीं था। अगर हमें कनाडा में अपने डिप्लोमेट्स के सुरक्षा की संभावना दिखेगी तो हम वहां फिर से वीजा जारी करना शुरू कर देंगे।

एस. जयशंकर ने भारत-कनाडा के बीच चल रहे तनाव के बारे में चर्चा की।

एस. जयशंकर ने भारत-कनाडा के बीच चल रहे तनाव के बारे में चर्चा की।

2. दुनियाभर में चल रहे संघर्ष से अस्थिरता बनी हुई है
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे संघर्ष की वजह से एक अस्थिरता बनी हुई है। हम रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर ये अनुभव कर चुके हैं। युद्ध का प्रभाव अभी मिडिल ईस्ट में क्या हो रहा है? यह अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। अलग-अलग क्षेत्रों में छोटी-छोटी घटनाएं हो रही हैं, उनका प्रभाव तो पड़ता ही है।

3. बाइपोलर वर्ल्ड दुनिया का पुराना इतिहास है
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, बाइपोलर वर्ल्ड दुनिया का पुराना इतिहास है। अमेरिका और सोवियत संघ जब दो ध्रुव थे, उस समय भी द्विध्रुवीय दुनिया काफी दूर थी। मुझे नहीं लगता कि अमेरिका और चीन वास्तव में दो ध्रुव बन सकेंगे। मुझे लगता है कि बहुत सारी ताकतें हैं, जिनका पर्याप्त प्रभाव है।

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