गणेश मूर्ति ने बचाई 14 साल के बच्चे की जान: गुजरात के समुद्र में नहाते समय डूबा था, 36 घंटे तक मूर्ति पकड़कर तैरता रहा

सूरत14 मिनट पहले

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गणेश प्रतिमा की लकड़ी के फ्रेम के सहारे समुद्र मे तैरता 14 साल का लाखन। - Dainik Bhaskar

गणेश प्रतिमा की लकड़ी के फ्रेम के सहारे समुद्र मे तैरता 14 साल का लाखन।

हम अपने बेटे को मरा हुआ मानकर उसका शव लेने आए थे, लेकिन भगवान की दया से उसकी जान बच गई। ये शब्द हैं… समुद्र में बह गए एक 14 वर्षीय लड़के के पिता के, जो शुक्रवार सुबह सूरत शहर में अरब सागर की लहरों में गुम हो गया था।

तबसे ही रेस्क्यू, फायर, स्थानीय गोताखोरों और मछुआरों की टीमें उसे तलाश रही थीं। शनिवार देर शाम को एक नाव के मछुआरों की उस पर नजर पड़ी। पहली नजर में उन्हें लगा कि बच्चे की लाश तैर रही है, लेकिन जब मछुआरे बच्चे तक पहुंचे तो देखा कि वह भगवान गणेशजी की एक मूर्ति के फ्रेम को पकड़े हुए था।

हालांकि, वह बदहवास हालत में था, लेकिन उसकी सांसे चल रही थीं। मछुआरों की सूचना पर रेस्क्यू और मेडिकल टीम भी बच्चे के पास पहुंची और प्राथमिक इलाज के बाद उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाया।

14 साल का लाखन, जो शुक्रवार दोपहर समुद्र की लहरों के साथ बह गया था।

14 साल का लाखन, जो शुक्रवार दोपहर समुद्र की लहरों के साथ बह गया था।

अब जानिए, क्या हुआ था शुक्रवार की दोपहर?
दादी तीन बच्चों को समुद्र तट पर घुमाने लाई थीं…
सूरत में गोडादरा इलाके के पास रहने वाले विकास लाभू के दो बेटे, लाखन (14 वर्ष), करण (11 वर्ष) और बेटी अंजलि (10 साल) अपनी दादी सविताबेन के साथ अंबाजी मंदिर गए थे। इसके बाद बच्चों की जिद पर शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे दादी तीनों को सूरत के डुमस बीच की सैर कराने ले आईँ।

तट पर पहुंचने ही लाखन और करण समुद्र किनारे खेलते-खेलते नहाने लगे। दादी ने डांट लगाई तो सविता तट से दूर आ गई, लेकिन दोनों भाई नहाने की जिद पर अड़े रहे। इसी दौरान समुद्र में अचानक ज्वारभाटा उठा और दोनों तेज लहर की चपेट में आ गए। कुछ लोगों ने किसी तरह करण को लहरों से बाहर निकाल लिया, लेकिन लाखन लहरों में गुम हो गया।

पोर्ट में एंबुलेंस ही बच्चे का प्राथमिक इलाज करती हुई मेडिकल टीम।

पोर्ट में एंबुलेंस ही बच्चे का प्राथमिक इलाज करती हुई मेडिकल टीम।

परिवार ने भी छोड़ दी थी जिंदा होने की उम्मीद
रेस्क्यू टीमें लाखन की तलाश में जुट गईं। दोपहर से लेकर देर रात तक रेस्क्यू जारी रहा, लेकिन लाखन का कहीं पता नहीं चला। रेस्क्यू टीम के साथ परिवार के लोगों ने भी उसके जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ दी थी, क्योंकि ज्वारभाटा के दौरान समुद्र में उठती भयानक लहरों के बीच किसी भी इंसान का जीवित बच पाना मुश्किल होता है। वहीं, लाखन तो सिर्फ 14 साल की उम्र था।

बच्चे की जान बचाने वाले मछुआरे रसिक टंडेल (सफेद शर्ट में) अपने साथी के साथ।

बच्चे की जान बचाने वाले मछुआरे रसिक टंडेल (सफेद शर्ट में) अपने साथी के साथ।

तैरते हुए करीब 22 किमी दूर पहुंच चुका था…
नवसारी जिले के भट गांव के मछुआरे रसिक टंडेल पिछले 5 दिनों से अपनी टीम के 7 सदस्यों के साथ समुद्र में मछली पकड़ रहे थे। टंडेल की नाव शनिवार दोपहर नवसारी तट से लगभग लगभग 22 किमी दूर जाल फेंक रहे थे। इसी दौरान उन्होंने बच्चे को समुद्र में देखा। उन्होंने भी यही मान लिया था कि यह बच्चे की लाश ही होगी।

टंडन नाव उसके पास ले गए और समुद्र में छलांग लगा दी। जब वे लाखन के पास पहुंचे तो देखा कि वह गणेशजी की मूर्ति की लकड़ियों के फ्रेम को पकड़े हुए था। वह बदहवास हालत में था, लेकिन मछुआरों की टीम ने उसे संभाल लिया। पहले उसे पानी दिया और इसके बाद चाय के साथ कुछ बिस्किट खाने को दिए। तब तक रेस्क्यू और मेडिकल की टीम यहां पहुंच चुकी थीं। यहां से लाखन को धोलाई पोर्ट लाया गया।

मछुआरों की वह नाव, जिससे बच्चे की जान बचाई गई।

मछुआरों की वह नाव, जिससे बच्चे की जान बचाई गई।

बच्चे के मिलने की सूचना पाते ही जिला पुलिस अधीक्षक सुशील अग्रवाल भी टीम के साथ धोलाई पोर्ट पहुंच गए थे। उनकी मौजूदगी में ही बच्चे को एंबुलेंस में प्राथमिक उपचार देने के बाद नवसारी के एक निजी हॉस्पिटल ले जाया गया था।

मेडिकल जांच के बाद परिवार के सुपुर्द किया जाएगा
बच्चे को नवसारी के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है। हॉस्पिटल की डॉक्टर शालीन पारिख ने बताया कि उसे आईसीयू में रखा गया है। फिलहाल वह स्वस्थ है, लेकिन अभी उसे कई मेडिकल टेस्ट से गुजरना होगा। इसके बाद ही उसे परिवार के सुपुर्द किया जाएगा।

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