झारखंड: ‘क्या निजता उल्लंघन का आरोप जमानत का आधार है?’ पूजा सिंघल के मामले में कोर्ट ने कहा- नहीं दे सकते बेल

Can allegation of breach of privacy be ground for bail? SC asks suspended IAS officer Pooja Singhal

सुप्रीम कोर्ट
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उच्चतम न्यायालय ने धनशोधन के एक मामले में आरोपी झारखंड कैडर की निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल से सोमवार को पूछा कि क्या उनकी निजता के हनन का आरोप उन्हें जमानत देने का आधार हो सकता है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सिंघल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि रांची के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उनके कमरे की तस्वीरें लीक होने से उनकी निजता का उल्लंघन हुआ।    उन्होंने कहा, ‘मेरी मुवक्किल 200 दिनों से अधिक समय से हिरासत में है और वह न्यायिक हिरासत में है। उन्हें किसी बीमारी के लिए अस्पताल ले जाया गया था और जब वह अपने परिवार के सदस्यों से मिल रही थीं, तो तस्वीरें ली गईं और मीडिया में लीक हो गईं। एक अखबार ने इसे प्रकाशित किया। लूथरा ने कहा कि यह उनकी निजता का उल्लंघन है।

न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप ”बहुत गंभीर” हैं और अदालत इस समय उन्हें जमानत देने पर विचार नहीं कर सकती। लूथरा ने इसके बाद कुछ दस्तावेज और तस्वीरें सौंपीं जो कथित तौर पर मीडिया में लीक हो गईं थी। वकील ने कहा कि सिंघल प्रवर्तन निदेशालय के एक मामले में हिरासत में हैं और धन शोधन रोधी एजेंसी  ही बता सकती है कि तस्वीरें कैसे लीक हुईं।

पीठ में शामिल न्यायमूर्ति धूलिया ने  वकील से पूछा, ‘आपका आधार यह है कि न्यायिक हिरासत में रहते हुए उनकी निजता का उल्लंघन हुआ लेकिन क्या यह आपको जमानत का हकदार बनाता है?’ लूथरा ने कहा कि जमानत देने के लिए अन्य आधार भी हैं और वह केवल निजता के उल्लंघन की हालिया घटना को अदालत के संज्ञान में लाने की कोशिश कर रहे हैं।ईडी की ओर से पेश हुए वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि निजता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और जिन तस्वीरों की बात की जा रही है वे सीसीटीवी फुटेज की हैं जिसमें सिंघल को अस्पताल के गलियारे में घूमते हुए देखा जा सकता है।