तलाक के लिए पत्नी का मेंटल हेल्थ टेस्ट कराना चाहा: कर्नाटक हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की, 50 हजार का जुर्माना लगाया

बेंगलुरु3 मिनट पहले

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बेंगलुरु के रहने वाले एक शख्स को अपनी पत्नी को मानसिक रूप से अस्वस्थ दिखाने की कोशिश महंगी पड़ गई। कर्नाटक हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए शख्स पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक दंपती की शादी नवंबर 2020 में हुई थी। लेकिन 26 साल की पत्नी ने मतभेदों के कारण तीन महीने बाद ससुराल छोड़ दिया और अपने माता-पिता के घर चली गई।

जून 2022 में उसने अपने पति के खिलाफ दहेज निषेध अधिनियम के तहत केपी अग्रहारा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।

पति क्रूरता का हवाला देकर फैमिली कोर्ट पहुंचा
केस दर्ज होने के कुछ दिन बाद शख्स ने क्रूरता का हवाला देते हुए फैमिली कोर्ट का रुख किया और अपनी शादी को रद्द करने की मांग की। 15 मार्च 2023 को उन्होंने अपनी पत्नी को निमहंस में मनोचिकित्सकों के पास भेजने के लिए एक आवेदन दायर किया।

खुद को मेंटली फिट दिखाने पेश किए दस्तावेज
पति की शिकायत के बाद महिला ने यह दिखाने के लिए दस्तावेज पेश किए कि वह मानसिक रूप से स्वस्थ है। फैमिली कोर्ट ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया। जिसे पति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। पति ने तर्क दिया कि उसके पास इस बात के सबूत हैं कि उसकी पत्नी की मानसिक हालत ठीक नहीं है।

इतना ही नहीं शख्स ने हॉस्पिटल की ओपीडी टेस्ट की रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें डॉक्टर ने जांच में बताया था कि पत्नी की मेंटल हेल्थ 11 साल और 8 महीने थी। महिला का कम दिमाग होना शादी रद्द होने का प्रमुख कारण था।

हालांकि महिला ने यह दिखाने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत किए कि वह सिंगर और टीचर थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने कई टेक्निकल एग्जाम पास किए हैं।

सुनवाई के दौरान जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि फैमिली कोर्ट किसी व्यक्ति को मेडिकल टेस्ट कराने का निर्देश दे सकती है, लेकिन केवल आवेदनों के आधार पर ऐसे टेस्ट आदेश नहीं दिया जा सकता है।

जज बोले- शादी तोड़ने ऐसा करना यह दुर्भाग्यपूर्ण
जस्टिस प्रसन्ना ने कहा कि शादी कैंसिल करने की मांग करके पति ने पत्नी को विकृत दिमाग और उसकी बुद्धि 11 साल और 8 महीने के रूप में पेश करने की कोशिश की है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। पति यह तर्क देना चाहता है कि यदि पत्नी की मानसिक उम्र पत्नी 18 साल की न हो तो विवाह अमान्य है। इस तरह की दलीलों को केवल खारिज कर दिया जाता है, क्योंकि पति ने पत्नी की मानसिक अस्वस्थता का हवाला देते हुए याचिका दायर नहीं की है, बल्कि यह क्रूरता पर आधारित है।

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