दिल्ली में कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस हुूई: PM बोले- 21वीं सदी की चुनौतियों से 20वीं सदी के दृष्टिकोण से नहीं लड़ा जा सकता

नई दिल्ली3 मिनट पहले

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पीएम मोदी कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (CASGC) 2024 के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए। - Dainik Bhaskar

पीएम मोदी कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (CASGC) 2024 के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार (3 जनवरी) को कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (CASGC) 2024 के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल रहे।

कॉन्फ्रेंस की थीम ‘क्रॉस-बॉर्डर चैलेंजेस इन जस्टिस डिलीवरी’ रही, जो न्यायिक परिवर्तन, कानूनी अभ्यास के नैतिक आयाम, कार्यकारी जवाबदेही और कानूनी शिक्षा के आधुनिकीकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है।

PM ने कॉमनवेल्थ लीगल एजुकेशन एसोसिएशन (CLEA) और कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (CASGC) को संबोधित किया। भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकी संघ के जी20 का हिस्सा बनने पर गर्व होने की बात कही। टेटर फंडिंग, देशों के बीच संबंध, 21वीं सदी की चुनौतियों पर भी चर्चा की।

कार्यक्रम में एशिया, यूरोप, अफ्रीका सहित दूसरे महाद्वीपों से CASG सदस्य शामिल हुए।

कार्यक्रम में एशिया, यूरोप, अफ्रीका सहित दूसरे महाद्वीपों से CASG सदस्य शामिल हुए।

PM मोदी के संबोधन की 7 मुख्य बातें

  • PM ने कहा कि 1.4 अरब भारतीयों की ओर से मैं अपने सभी अंतरराष्ट्रीय मेहमानों का स्वागत करता हूं। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप अविश्वसनीय भारत का पूरा अनुभव लें। अफ्रीकी संघ के साथ भारत का विशेष संबंध हैं। हमें गर्व है कि अफ्रीकी संघ भारत के दौरान जी20 का हिस्सा बना।
  • क्रिमिनल्स का कई देशों और क्षेत्रों में बड़ा नेटवर्क है। वे फंडिंग और ऑपरेशन्स को अंजाम देने लिए हाई-टेक्निक अपना रहे हैं। क्रिप्टो करेंसी के बढ़ने और साइबर खतरों के कारण नई चुनौतियां सामने आ रही हैं।
  • भारत को औपनिवेशिक काल से कानूनी व्यवस्था विरासत में मिली है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में हमने इसमें कई सुधार किए हैं। औपनिवेशिक काल के हजारों अप्रचलित कानूनों को खत्म कर दिया है। पहले सजा और दंडात्मक पहलुओं पर ध्यान दिया जाता था, लेकिन अब न्याय को प्रोत्साहित करने पर ध्यान है।
  • 21वीं सदी की चुनौतियों से 20वीं सदी के दृष्टिकोण से नहीं लड़ा जा सकता है। पुनर्विचार, पुनर्कल्पना और सुधार की आवश्यकता है। इसमें न्याय प्रदान करने वाली कानूनी प्रणालियों का आधुनिकीकरण शामिल है। इसमें हमारे सिस्टम को अधिक फ्लैगजिबल और व्यवस्थित बनाना भी शामिल है।
  • देशों को जांच और न्याय वितरण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। एक-दूसरे के अधिकार क्षेत्र का सम्मान करते हुए भी सहयोग हो सकता है। जब हम साथ मिलकर काम करते हैं, तो क्षेत्राधिकार न्याय देने का एक उपकरण बन जाता है।
  • कभी-कभी एक देश में न्याय सुनिश्चित करने के लिए दूसरे देशों के साथ काम करने की आवश्यकता होती है। जब हम सहयोग करते हैं, तो हम एक-दूसरे के सिस्टम को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। बेहतर समझ बेहतर तालमेल लाती है और तालमेल बेहतर और तेज न्याय वितरण को बढ़ावा देता है।
  • PM ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में मैंने कई अवसरों पर कानूनी बिरादरी के साथ बातचीत की। इस तरह की बातचीत बेहतर और तेज न्याय वितरण के समाधान के अवसर लाती है। भारतीय चिंतन में न्याय को बहुत महत्व दिया गया है।

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