बीजेपी के वादों का स्टेटस, पार्ट-1: राजनीतिक एजेंडे और हिंदुत्व से जुड़े 54% प्रमुख वादे पूरे; स्वच्छ गंगा, NRC और UCC अधूरा

31 मिनट पहलेलेखक: शिवेंद्र गौरव

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2024 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के घोषणा पत्र का टाइटल है- भाजपा का संकल्प, मोदी की गारंटी। इसे लॉन्च करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘पूरे देश को बीजेपी के घोषणापत्र का इंतजार रहता है। इसकी बड़ी वजह ये है कि बीजेपी ने हर गारंटी को पूरा किया है।’

साल 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने ‘संकल्प पत्र’ नाम से 50 पेज का घोषणापत्र जारी किया था। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, जनकल्याण, अर्थव्यवस्था, महिलाओं के सशक्तीकरण, चिकित्सा, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और कृषि जैसे मुद्दों से जुड़े वादे 85 प्रमुख वादे किए गए थे।

कुल 13 प्रमुख वादे ऐसे हैं जो बीजेपी के राजनीतिक और हिंदुत्ववादी एजेंडे में फिट बैठते हैं। बीजेपी ने इनमें से 7 वादे पूरे किए हैं, और जो 6 वादे पूरे नहीं हुए उनमें से 4 भ्रष्टाचार और चुनाव प्रक्रिया में सुधार से जुड़े हुए हैं। ‘बीजेपी के वादों का स्टेटस, पार्ट-1’ में आज इन्हीं 13 वादों की पड़ताल करेंगे…

वादा- 1: संविधान के दायरे में राम मंदिर निर्माण की संभावनाओं पर प्रयास

बीजेपी ने अपने हिंदुत्ववादी एजेंडे के तहत यह वादा पूरा किया है।

  • 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया। 5 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की घोषणा की।
  • ठीक 6 महीने बाद 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में मोदी की मौजूदगी में राम मंदिर की आधारशिला रखी गई।
  • 22 जनवरी 2024 को मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आम लोगों के लिए मंदिर खोल दिया गया।

वादा- 2: सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल लागू करेंगे

बीजेपी का यह वादा पूरा हो गया है।

  • 10 दिसंबर 2019 को सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल (CAB) लोकसभा से और अगले दिन राज्यसभा से पारित हुआ था। 12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मंजूरी मिलने के बाद CAA कानून बन गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे 4 साल से ज्यादा वक्त बाद आम चुनावों के ठीक पहले 11 मार्च 2024 को देशभर में CAA लागू कर दिया है।
  • इसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है। 31 दिसंबर 2014 से पहले इन तीन देशों से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी।
  • हालांकि CAA को लेकर देश के मुसलमानों में शंकाएं रही हैं। कई मुस्लिम नेताओं ने इसे मुसलमानों के प्रति भेदभाव वाला कानून बताया है। मुसलमानों के एक बड़े वर्ग को डर है कि CAA के बाद केंद्र सरकार NRC लाएगी और इसके तहत उन्हें देश से बाहर कर दिया जाएगा। मुस्लिम वर्ग का यह भी कहना है कि CAA के तहत पड़ोसी देशों के मुस्लिम शरणार्थियों के लिए रास्ते बंद कर दिए गए हैं।

वादा- 3: धारा 370, 35A का निर्मूलन

बीजेपी ने अपना ये वादा पूरा किया है।

  • 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A के प्रभाव को खत्म कर दिया गया था। इसके तहत राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटकर दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था।
  • इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुईं। लगभग 4 साल बाद 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को वैध माना।
  • हालांकि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के निर्णय का कांग्रेस, PDP, AIMIM और JDU जैसे कई विपक्षी दलों ने विरोध किया है।

वादा- 4: घुसपैठ से प्रभावित क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से NRC लागू करेंगे

बीजेपी का यह चुनावी वादा अभी अधूरा है।

  • 20 नवंबर 2019 को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि NRC की प्रक्रिया पूरे देश में लागू की जाएगी। इसमें किसी भी धर्म के आधार पर लोगों को बाहर करने का कोई प्रावधान नहीं है।
  • दिलचस्प बात ये है कि इसके करीब दो महीने बाद ही 22 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने एक रैली में कहा कि उनकी सरकार में 2014 से आज तक NRC को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई, सिर्फ असम में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार NRC लागू किया गया है। अमित शाह और मोदी के इन बयानों से पैदा हुए विरोधाभास की खूब चर्चा हुई थी।
  • 31 अगस्त 2019 को NRC की आखिरी लिस्ट जारी की गई है। उधर, मणिपुर ने साल 2022 में विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया है जिसमें केंद्र से मणिपुर में NRC लागू करने की मांग की गई है।
  • NRC को लेकर विपक्षी दलों ने लगातार शंकाएं जाहिर की हैं और विरोध भी किया है, AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी जैसे कई नेताओं ने इसे देश के मुसलमानों के साथ अन्यायपूर्ण बताया है।
  • 2024 के संकल्प पत्र में एनआरसी नहीं है, लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करने की बात की गई है।

वादा- 5: एक साथ लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव के लिए सभी पार्टियों की सहमति का प्रयास

एक साथ सभी चुनाव करा पाना अभी भी दूर की कौड़ी है, इसके लिए बीजेपी के प्रयास का वादा अभी अधूरा है।

  • 1967 तक देश में एक साथ ही लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं के चुनाव हुए, लेकिन इसके बाद यह क्रम टूट गया।
  • ‘एक देश-एक चुनाव’ बीजेपी का पुराना चुनावी मुद्दा रहा है। बीजेपी के दिग्गज नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी बाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी भी एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव करवाने के पक्ष में थे। 1999 में जब अटल की सरकार थी तब एक कानून आयोग की रिपोर्ट में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की गई थी। सरकारें बदलने के साथ ‘एक देश-एक चुनाव’ की बहस भी चलती रही।
  • 2014 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में बीजेपी ने कहा, ‘वह सभी दलों से विमर्श करके ऐसा तरीका बनाना चाहती है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों।’
  • हालिया स्थिति यह है कि इसको लेकर 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई थी। इसने 14 मार्च 2024 को 18,626 पन्नों की अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है। इस कमेटी ने 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था जिसमें 47 राजनीतिक दलों ने जवाब दिया। 32 पार्टियों ने एक साथ चुनाव कराने को लेकर हामी भरी है। वहीं, 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया है।

वादा- 6: सभी सार्वजनिक निकायों में मतदान के लिए एक मतदाता सूची का प्रयास

एक मतदाता सूची के प्रयास का बीजेपी का वादा पूरा कहा जा सकता है।

  • एक देश-एक चुनाव’ पर विचार और सुझाव के लिए बनी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी से सिंगल वोटर लिस्ट लागू करने के तरीकों पर भी सुझाव मांगे गए थे। जिसके जवाब में कमिटी ने सिफारिश की है कि लोकसभा, विधानसभा, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव के लिए एक मतदाता सूची और पहचान पत्र की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 325 को संशोधित किया जा सकता है।

वादा- 7: तीन तलाक, निकाह-हलाला जैसी प्रथाओं के उन्मूलन के लिए कानून

तीन-तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के उन्मूलन का बीजेपी का वादा पूरा हुआ है।

  • तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) और हलाला जैसी प्रथाओं के उन्मूलन के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 में लोकसभा से पारित हुआ, लेकिन विपक्ष के विरोध के चलते राज्यसभा में अटक गया था।
  • साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को 6 महीने के अंदर तीन तलाक पर कानून बनाने का निर्देश दिया था। 2019 के चुनाव के बाद सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ तीन तलाक के बिल को फिर से सदन में पेश किया। इस बार ये बिल दोनों सदनों से पास हो गया।
  • इस कानून के बनने से इस्लाम में तलाक के तीन तरीकों से से एक तलाक-ए-बिद्दत (एक साथ तील तलाक देकर शादी तोड़ना) गैरकानूनी हो गया है, इस तरह से तीन तलाक देने पर 3 साल की सजा का प्रावधान है।
  • वहीं इस्लाम में तलाक के एक और तरीके, तलाक-ए-हसन (तीन महीने में तीन बार तलाक देकर शादी तोड़ना) की वैधता को भी चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। यह मामला अभी जारी है।

वादा- 8: समान नागरिक संहिता बनाना

समान नागरिक संहिता लागू करने का बीजेपी का वादा अभी अधूरा है।

  • संविधान के आर्टिकल-44 यानी राज्य के नीति निदेशक तत्वों में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है। अभी देश में नागरिकों के लिए सामान आपराधिक संहिता है, लेकिन समान नागरिक संहिता लागू (UCC) नहीं हो पाई है। इसे लेकर समय-समय पर विरोध भी किया गया है।
  • अभी तक सिर्फ गोवा में समान नागरिक संहिता लागू है। वहीं फरवरी 2024 में उत्तराखंड विधानसभा में भी UCC ध्वनि मत से पारित हो गया है।

वादा- 9: संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण

बीजेपी का यह चुनावी वादा पूरा हुआ कहा जा सकता है।

  • लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए पहली बार 1996 में कोई बिल लाया गया था।
  • 27 साल बाद 20 सितंबर 2023 में ये बिल लोकसभा से और फिर 22 सितंबर को राज्यसभा से पारित हो गया। 28 सितंबर को राष्ट्रपति ने भी इसे अपनी मंजूरी दे दी।
  • इस तरह बिल लागू होने के लिए जरूरी कानूनी जरूरतें तो पूरी हो चुकी हैं, लेकिन परिसीमन और जनगणना पूरी होने के बाद ही इसे लागू किया जा सकता है।
  • 20 सितंबर 2023 को लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि परिसीमन की कवायद 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद ही की जाएगी और इसलिए 2029 के बाद ही महिला आरक्षण विधेयक लागू हो सकेगा।

वादा- 10: 2022 तक स्वच्छ गंगा का लक्ष्य

सरकार का गंगा को साफ करने का वादा अभी अधूरा है।

  • साल 2014 में बीजेपी की सरकार बनते ही ‘नमामि गंगे योजना’ की शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य गंगा को स्वच्छ बनाना था। मीडिया को RTI के तहत मिली जानकारी के मुताबिक 2022 तक सरकार इस योजना के लिए जारी हुए 20,000 करोड़ रुपए का सिर्फ 27% ही खर्च कर पाई। दिसंबर 2022 में जल शक्ति राज्य मंत्री विशेश्वर टुडू ने कहा कि ‘नमामि गंगे योजना’ के तहत अभी तक 30,458 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत के साथ कुल 353 परियोजनाओं को स्वीकृत किया गया है, जिसमें से 178 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
  • संसद में गंगा की सफाई के सवाल पर सरकार का एक सा जवाब रहा है कि नदी की सफाई सतत प्रक्रिया है। हालांकि समय-समय पर गंगा की सफाई के लिए ‘अर्ध गंगा मॉडल जैसी अन्य योजनाएं भी आईं लेकिन अभी गंगा को पूरी तरह साफ नहीं किया जा सका है।
  • 14 दिसंबर 2023 को जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया कि ‘नमामि गंगे कार्यक्रम’ के तहत, कुल 195 सीवरेज बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से 109 सीवरेज परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 2,664 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट क्षमता का निर्माण और पुनर्वास हो चुका है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने दिसंबर 2026 तक 7,000 एमएलडी की ट्रीटमेंट क्षमता को मंजूरी देने का लक्ष्य रखा है।
  • सरकार की उदासीनता का स्तर यह है कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय गंगा परिषद की बीते छह सालों में केवल एक बैठक हुई है, जबकि नियमतः इसे हर साल होना चाहिए था।

वादा- 11: भ्रष्टाचार मुक्त भारत के प्रयास

बीजेपी का भ्रष्टाचार मुक्त भारत के प्रयास का वादा अभी अधूरा है।

  • पीएम नरेंद्र मोदी ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से कहा था कि ‘पिछले आठ सालों में जो दो लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाते थे, उनको बचाकर देश की भलाई के काम में लगाने में हम सफल हुए हैं।’
  • केंद्र सरकार लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कहती आई है। केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद ईडी और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों की कार्रवाई बढ़ी है।
  • हालांकि 1995 से हर साल भ्रष्टाचार की स्थिति का मूल्यांकन करने वाली संस्था ‘ट्रान्सपैरेंसी इंटरनेशनल’ की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में भारत 39 अंकों के साथ 180 देशों में से 93वें स्थान पर है जबकि 2019 में भारत 80वें स्थान पर था।

वादा- 12: भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारत वापस लाने और मुकदमा चलने की कार्रवाई तेज करेंगे

बीजेपी का यह वादा अधूरा है।

  • साल 2018 में केंद्र सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA) पारित किया गया। इसका मकसद कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए देश छोड़ने वाले आर्थिक अपराधियों को रोकना है।
  • 1 अगस्त 2023 को केंद्र सरकार ने बताया कि 2018 से अब तक विजय माल्या, नीरव मोदी समेत 10 लोगों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है। इन्होंने 40,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला किया है, जिसमें से 15,000 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर ली गई है।
  • हालांकि, केंद्र सरकार इन भागे हुए 10 लोगों वापस देश लाने में नाकाम रही है। बीजेपी ने अपने वादे में कार्रवाई तेज करने की बाद कही थी, लेकिन परिणाम बताते हैं कि इसका कोई फायदा नहीं हुआ है।

वादा- 13: भारत गौरव योजना की शुरुआत

बीजेपी का यह योजना शुरू करने का वादा पूरा हुआ है।

  • नवंबर 2021 में भारत गौरव योजना की शुरुआत हो चुकी है। इस योजना के तहत ट्रेनों में पर्यटन के लिये तीसरा अनुभाग स्थापित किया गया। इससे पहले रेलवे के पास यात्री अनुभाग और माल अनुभाग थे।
  • इस अभियान का उद्देश्य भारत में ट्रेन के जरिए सांस्कृतिक विरासत व भव्य ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन और देश में पर्यटन को बढ़ावा देना है।
  • कोयंबटूर उत्तर से साईंनगर शिर्डी के लिए पहली भारत गौरव ट्रेन 14 जून, 2022 को शुरू हुई थी।

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अरुण दीक्षित कहते हैं कि राम मंदिर निर्माण, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटाने, CAA, NRA तीन तलाक, एक देश-एक चुनाव और यूनिफार्म सिविल कोड जैसे मुद्दे, बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे और देश की बहुसंख्यक आबादी को साधने की कोशिश के तहत आते हैं।

अरुण के मुताबिक, राम मंदिर का मुद्दा देश-दुनिया के हिंदुओं को आकर्षित करता है। असम में NRC लागू करने के उदेश्य यह संकेत देना है कि हम असमिया हिंदू के साथ हैं। धारा 370 के उन्मूलन के पीछे यह उद्देश्य भी था कि पूरे देश के बहुसंख्यकों में यह संदेश जाए कि हमने जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह देश में मिला लिया है।

‘एक देश-एक चुनाव’ एक राजनीतिक वादा है, पूरे देश में अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियां हैं, ऐसे में एक साथ सभी चुनाव कराना मुश्किल है। सरकार को कम से कम एक राज्य में पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक साथ सभी निकाय और विधानसभा चुनाव कराने की शुरुआत करनी चाहिए थी।

सभी चुनावों के लिए एक मतदाता सूची के प्रयास का वादा धराशायी है। चुनाव आयोग ही सूचियां बदल देता है। लोकसभा चुनाव की सूची में जिसका वोट होता है उसका विधानसभा चुनाव में कट जाता है। तीन तलाक के मुद्दे पर कानून बनाने के बाद सरकार को यह आंकड़े भी जारी करने चाहिए कि कितनी मुस्लिम महिलाओं को इससे फायदा मिला।

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रिसर्च में सहयोग: आकाश मिश्र, शुभांक शुक्ला

ग्राफिक्स: अंकुर बंसल, महेंद्र वर्मा

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