भास्कर ओपिनियन: ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों को लेकर विवाद अभी थमा नहीं

1 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। ज़्यादातर विपक्षी पार्टियां हमेशा कहती रही हैं कि ईवीएम में चिप लगी हुई है और इसमें कभी भी गड़बड़ी की जा सकती है।

इस बारे में एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि चूँकि ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका है इसलिए या तो बेलट पेपर के ज़रिए चुनाव करवाए जाएँ या वीवीपैट पर्चियों को ईवीएम से मिलान किया जाए। हालाँकि दोनों ही मामलों में पर्चियां तो गिननी ही पडेंगी।

भूषण ने कहा जर्मनी में ऐसा ही होता है। वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भूषण से पूछा – जर्मनी में कितने वोटर्स हैं? जवाब मिला- 5 से 6 करोड़। कोर्ट ने कहा – भारत में 97 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर्स हैं। कैसे करोगे? जस्टिस दीपांशु दत्ता ने कहा मेरे होम स्टेट पश्चिम बंगाल की आबादी जर्मनी से ज़्यादा है। इस तरह सिस्टम को गिराने की कोशिश मत कीजिए। यूरोप के उदाहरण भारत में नहीं चल सकते!

हालाँकि सुनवाई अभी और होनी है। लम्बी चलेगी, लेकिन इतना तो सच ही है कि अगर किसी व्यक्ति को या किसी समूह को ईवीएम पर आशंका है तो इसका कोई निदान तो ढूँढना ही होगा। आशंका को बेबुनियाद साबित क्यों नहीं कर दिया जाता? विपक्ष आरोप लगाता है।

सरकार कोई न कोई जवाब दे देती है। शंकाओं को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया जाता। बात विपक्ष की करें तो वह जिस राज्य में जीत जाता है, वहाँ वह ईवीएम की बात नहीं करता। हारने पर उसे ईवीएम और वीवीपैट में गड़बड़ी दिखाई देने लगती है। सत्ता पक्ष इसी तर्क को अपना हथियार बनाकर घूमता है।

आख़िर सभी पक्ष मिलकर, एक साथ बैठकर कोई निदान क्यों नहीं कर लेते? बातचीत करेंगे, कुछ आइडियाज़ पर डिस्कशन होगा तो कोई तो बात सामने आ ही जाएगी। किसी न किसी बिंदु पर जाकर तो सहमति बन ही सकती है। इस तरह हर हार या जीत के बाद एक – दूसरे पर आरोप लगाते रहने से तो कुछ भी होने वाला नहीं है। जहां तक चुनाव आयोग का सवाल है, वह पहले ही कह चुका है कि एक-एक वोट को पहले की तरह मैनुअली गुना जाता है तो इस काम में उसे कम से कम बारह दिन लगेंगे।