भास्कर ओपिनियन-राजनीति: ‘इंडिया’ वालों के हल्के बयानों पर पहले भी होता रहा है विवाद

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8 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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नाम भले ही ‘इंडिया’ रख लिया हो लेकिन इस संगठन के नेता आए दिन ऐसा कुछ बोल जाते हैं कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसे तुरंत बड़ा मुद्दा बना देते हैं। मंगलवार को ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में महिलाओं को लेकर ऐसा भाषण दिया कि उस पर विवाद हो गया। महिला सदस्यों की उपस्थिति में आप क्या और क्यों बोल रहे हैं, कम से कम इसका तो ख़्याल रखा ही जा सकता है। ऊपर से इस बयान की निंदा करने वाले नेताओं से कहा जाता है कि शब्दों पर मत जाइए, भावनाओं को समझिए।

गुना में प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महिलाओं पर दिए बयान को भद्दा बताया।

गुना में प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महिलाओं पर दिए बयान को भद्दा बताया।

ख़ैर, नीतीश के बयान को दूसरे ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा मुद्दा बना दिया। उन्होंने कहा कि सदन में एक मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया यह सबसे भद्दा और भोंडा बयान है। आख़िर ‘इंडिया’ संगठन वाले कहाँ तक और किस हद तक गिरेंगे? गिरने की भी तो कोई हद होनी चाहिए। नीतीश कुमार ने सदन में जो कुछ कहा उसे सभ्य तरीक़े से भी समझाया जा सकता था। बदले हुए शब्दों के सहारे भी कहा जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आश्चर्यजनक यह था कि नीतीश जब सदन में यह बयान दे रहे थे, सत्ता पक्ष के कई नेता खी- खी करके हंस रहे थे। हालाँकि नीतीश ने अपने बयान पर दूसरे दिन माफ़ी माँग ली।

ऐसे में अगर मोदी, विपक्षी नेताओं को हल्का कहते हैं तो इसमें आख़िर क्या अतिशयोक्ति है? इसके पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे ने सनातन के खिलाफ अनाप- शनाप बोला था। कई नेताओं से मिली आलोचनाओं के बावजूद उन्हें इस पर कोई अफ़सोस भी नहीं था। रही- सही कसर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे ने कर दी थी। उन्होंने सनातन की तमाम निंदाओं का समर्थन कर दिया था। इस चक्कर में कांग्रेस पार्टी भी आरोपों से घिर गई थी। मजाल है कि कोई खरगे के बेटे से कुछ कहता या इस तरह की बयानबाज़ी करने से रोकता।

बिहार के CM नीतीश कुमार ने महिलाओं पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर बुधवार सुबह माफी मांग ली।

बिहार के CM नीतीश कुमार ने महिलाओं पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर बुधवार सुबह माफी मांग ली।

हो सकता है दबी ज़ुबान में किसी ने कुछ कहा हो लेकिन सार्वजनिक तौर पर तो इस आशय का कोई बयान नहीं दिया गया। न राहुल गांधी की तरफ़ से और न ही मल्लिकार्जुन खरगे की तरफ़ से। आख़िर विपक्ष का कोई न कोई नेता चुनाव के वक्त ऐसा कोई न कोई बयान ज़रूर देता है जिसका फ़ायदा भाजपा को मिल जाता है। जाने क्यों? शब्द तलवार की तरह होते हैं। इनका इस्तेमाल बहुत सावधानी से करना चाहिए, यह बात दुनियाभर में सिखाई जाती है। बहुत से लोग हैं जो इसे सीखना नहीं चाहते।