मुंबई में NIA को 6 घंटे इंतजार कराया: PFI मामले में जांच करने गई थी टीम, मोदी की सभा से जुड़ा है केस

मुंबईएक मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

मुंबई के विंक्रोली एरिया के पार्कसाइट की चॉल में NIA के अधिकारियों को एक घर में दाखिल होने के लिए छह घंटे इंतजार करना पड़ा। घर के मालिक अब्दुल वाहिद शेख ने घर का दरवाजा नहीं खोला। NIA की कार्रवाई साल 2022 में PM नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के दौरान हमले की आशंका से जुड़े एक मामले को लेकर प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ छह राज्यों में कई जगहों पर की गई छापेमारी का हिस्सा थी।

NIA की टीम ने बुधवार को छह राज्यों UP, MP, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में छापेमारी की है।

NIA के अधिकारी ने बताया कि NIA की एक टीम मुंबई पुलिस के साथ सुबह करीब पांच बजे अब्दुल वाहिद शेख के घर पर पहुंची थी। जो पहले 7/11 ट्रेन विस्फोट मामले में आरोपी था। लेकिन शेख ने घर का दरवाजा नहीं खोला। घर के दरवाजे छह घंटे से ज्यादा समय तक बंद रहे और अधिकारी बाहर इंतजार करते रहे। घर के अंदर से शेख ने एनआईए से तलाशी वारंट की मांग की थी।

शेख के वकील और कुछ स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के मौके पर पहुंचने के बाद सुबह करीब 11.15 बजे घर का दरवाजा खोलने के बाद एनआईए की टीम घर में दाखिल हुई और पीएफआई से जुड़े मामले के बारे में पूछताछ शुरू की। शेख के घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किये गये थे।

शेख ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर किया था दावा अब्दुल वाहिद शेख ने पहले वॉट्सऐप पर एक वीडियो संदेश पोस्ट किया था, जिसमें कहा गया था कि पुलिस और कुछ लोग सुबह 5 बजे से उनके घर के बाहर इकट्ठा हुए हैं। वे मेरे घर में घुसना चाहते हैं, उन्होंने एक दरवाजा भी तोड़ दिया है और मेरे घर का सीसीटीवी कैमरा भी तोड़ दिया है। वे मुझे किसी मामले या एफआईआर से संबंधित कोई दस्तावेज भी नहीं दिखा रहे हैं। मैंने खुद को और अपने परिवार के सदस्यों को पिछले तीन घंटों से घर में बंद कर रखा है, मेरी पत्नी और बेटी की तबीयत खराब है। मैंने इस संबंध में पुलिस और मुंबई पुलिस आयुक्त से शिकायत की है।

अब्दुल वाहिद शेख को 7/11 ट्रेन विस्फोट मामले में आरोपी बनाया गया था, लेकिन बाद में एक अदालत ने उसे बरी कर दिया था। 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों की पश्चिमी लाइन पर अलग-अलग स्थानों पर 15 मिनट के भीतर सात धमाके हुए थे, जिसमें 180 से ज्यादा लोग मारे गए थे और कई घायल हो गए थे।