लोकसभा चुनाव 2024 में आरक्षण बन सकता है किंग मेकर: इससे वंचित पात्र जातियों को साधने की तैयारी में जुटी भाजपा

नई दिल्ली3 मिनट पहलेलेखक: सुजीत ठाकुर

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लोकसभा चुनाव 2024 में आरक्षण बड़ा सियासी मुद्दा बनकर उभर सकता है। यह किंग मेकर भी बन सकता है। भाजपा ने मराठा आरक्षण की मांग के बीच जाट आरक्षण के शिगूफे की काट के लिए तैयारी शुरू कर दी है।

गृह मंत्री अमित शाह ने तेलंगाना में ऐलान कर OBC के साथ ही ST समुदाय को भी साधने की कोशिश की है। गृह मंत्री ने चुनावी सभा में घोषणा की है कि पार्टी सत्ता में आई तो OBC सीएम बनेगा। साथ ही, मुस्लिम समुदाय को मिल रहे 4% आरक्षण को काटकर उसे ST समुदाय को देंगे और मदिगा (ST) जातियों को भी लाभ मिलेगा।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार की कोशिश है कि सभी पात्र जातियों को आरक्षण में हिस्सेदारी मिले। भाजपा के एक महासचिव ने बताया कि गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलितों की ज्यादातर जातियों को आरक्षण नहीं मिल पा रहा है।

रोहिणी आयोग का गठन इन्हीं खामियों को दूर करने के लिए किया गया है। विपक्षी दल जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि संख्या के आधार पर उन्हें प्रतिनिधित्व मिले।

यूपी में पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों में पैठ मजबूत कर रही भाजपा
लोकसभा चुनाव के पहले यूपी में विपक्ष की जाति जनगणना की मांग का मुकाबला करने के लिए भाजपा पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों में पैठ मजबूत कर रही है। पार्टी ने 6 क्षेत्रों के संगठन प्रभारी और 98 नगरों व जिलों के प्रभारी तैनात करने में 55-60% तक पिछड़ी और दलित कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी है। पार्टी दिसंबर में हर जिले में ओबीसी सम्मेलन करने की तैयारी में भी है।

दो लाख नए कार्यकर्ता तैयार करने की योजना

राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री नरेंद्र कश्यप के मुताबिक, हर विधानसभा में ओबीसी व दलित समाज के 500 नए कार्यकर्ता तैयार किए जा रहे हैं। प्रदेश में दो लाख नए कार्यकर्ता तैयार करने की योजना है। इन्हें दिसंबर में ट्रेनिंग दी जाएगी। जनवरी में प्रयागराज में ओबीसी महाकुंभ होगा। पिछड़ा वर्ग सोशल मीडिया के जरिए नए लोगों को जोड़ेगा।

भाजपा के साथी दल भी जाति जनगणना के समर्थक
यूपी में भाजपा के साथ पहले ही पिछड़ी जातियों में मजबूत पकड़ वाले दल हैं। इनमें अपना दल सोनेलाल, निषाद पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी शामिल हैं। लोनिया चौहान समुदाय के दारासिंह चौहान भी सपा से भाजपा में आ चुके हैं। खास बात है कि भाजपा के साथी दल भी जाति जनगणना के समर्थक हैं और भाजपा के साथ रहते हुए मांग कर रहे हैं।

भाजपा पिछड़ी जातियों के बल पर चुनाव जीत रही
यूपी में 2014 से भाजपा अति पिछड़ी और अति दलित जातियों के बल पर चुनाव जीत रही है। 2019 में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को 15 सीटों पर रोकने और 64 सीटें जीतने में सफल हो चुकी है। 2022 में अखिलेश यादव ने अति पिछड़ी जातियों के साथ गठबंधन किया था, लेकिन गैर यादव पिछड़ी और गैर जाटव दलित जातियों ने भाजपा का साथ दिया।

ओबीसी सियासत करने वाले दल मजबूत स्थिति में
विपक्षी दल जाति जनगणना की मांग के जरिए भाजपा को घेरने की कोशिश में है। भाजपा फिलहाल चुप्पी साधे है। रणनीतिकार मान रहे हैं कि यह उन्हें परेशानी में डार सकता है। इससे ओबीसी में भ्रम फैल सकता है।

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर पार्टी असहज है। जाट आरक्षण की मांग भी उठने लगी है। भाजपा की चिंता इसलिए भी बड़ी है क्योंकि ओबीसी राजनीति करने वाले सपा, राजद, जदयू मजबूत स्थिति में हैं।

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