लखनऊ2 घंटे पहलेलेखक: उज्ज्वल सिंह
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कहते हैं उड़ानें पंख से नहीं हौसलों से तय की जाती हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण है यूपी की एक दिव्यांग लड़की रंजना। 32 साल से खुद व्हीलचेयर के सहारे जीने वाली रंजना हजारों महिलाओं का सहारा बनी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।
रंजना बचपन से पढ़ने में काफी होनहार थी। पढ़-लिखकर अफसर बनना चाहती थी। जब 9 साल की हुई, अचानक तबीयत बिगड़ गई। घरवाले डॉक्टर को दिखाने गए, तो पता चला कि मायलिटिस बीमारी का शिकार हो गई हैं। अब रंजना का चलना-फिरना एक दम बंद हो गया। कुछ समय किस्मत मानकर बैठीं, लेकिन फिर किस्मत बदलने निकल लीं।
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