CM शिंदे बोले-पूरे महाराष्ट्र में कुनबी रिकॉर्ड ट्रेस किए जाएंगे: मुख्य सचिव से कहा- उर्दू-मोदी लिपि में लिखे डेटा की जांच करें, इसे डिजिटलाइज करवाएं

मुंबईएक घंटा पहले

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2 नवंबर को मनोज जरांगे ने 9 दिन की भूख हड़ताल सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात के बाद खत्म की थी। - Dainik Bhaskar

2 नवंबर को मनोज जरांगे ने 9 दिन की भूख हड़ताल सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात के बाद खत्म की थी।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि मराठों के कुनबी पूर्वजों के रिकॉर्ड ट्रेस करने का कैंपेन जो फिलहाल मराठवाड़ा में चल रहा है। उसे पूरे महाराष्ट्र में चलाया जाएगा। शिंदे ने शुक्रवार (3 नवंबर) को मुंबई में कमिश्नर और कलेक्टरों की मीटिंग में यह निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि कुनबी रिकॉर्ड ट्रेसिंग को मिशन मोड में लागू किया जाना चाहिए।

CM ने अधिकारियों से कहा कि उर्दू और मोदी लिपि (जिसका उपयोग पहले के समय में मराठी भाषा लिखने के लिए किया जाता था) में बनाए गए रिकॉर्ड्स को ट्रांसलेट करने के बाद उनकी जांच करके वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए।

यह फैसला मराठा रिजर्वेशन एक्टिविस्ट मनोज जारंगे की भूख हड़ताल खत्म होने के एक दिन बाद लिया गया है।

पूरे राज्य में काम करेगी शिंदे समिति, एक महीने में मांगा रिकॉर्ड
बैठक के बाद सीएम शिंदे ने कहा, “कुनबी रिकॉर्ड की खोज के लिए मराठवाड़ा क्षेत्र में बनाई गई जस्टिस शिंदे समिति पूरे राज्य के लिए काम करेगी। इसकी निगरानी के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के एक अधिकारी को नियुक्त किया गया है।”

इसके बाद मुख्यमंत्री ने छत्रपति संभाजीनगर के संभागीय आयुक्त को पूरे राज्य के कमिश्नरों और कलेक्टरों की वर्कशॉप रखने और शिंदे समिति के कामकाज के बारे में जानकारी देने के निर्देश जारी किए।

CM शिंदे ने कलेक्टरों से जरूरी सूचनाएं एक महीने अंदर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। ताकि पिछड़ा वर्ग आयोग को समुदाय का डेटा एकत्र करने में आसानी हो।

हालांकि, भूख हड़ताल करने वाले मनोज ने सरकार को 2 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया है। तब तक आरक्षण लागू न होने पर वे मुंबई में आंदोलन की चेतावनी दे चुके हैं।

मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर हुआ घटनाक्रम

  • 25 अक्टूबर को महाराष्ट्र के जालना से 70KM दूर अंतरवाली सराटी गांव के विट्ठल मंदिर के कैंपस में मनोज जरांगे पाटिल भूख हड़ताल पर बैठे। 2 नवंबर को उन्होंने अनशन खत्म कर दिया।
  • महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग का मुद्दा 30 अक्टूबर को राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया, जब प्रदर्शनकारियों ने NCP अजीत पवार गुट के विधायक प्रकाश सोलंके के घर और दफ्तर पर पथराव कर दिया।
  • इस मांग को लेकर पिछले 42 सालों में 50 से ज्यादा लोगों की जान जाने का दावा किया जा रहा है। सबसे पहली मौत इस आंदोलन को शुरू करने वाले नेता अन्नासाहेब पाटिल की थी।

कौन हैं मराठा आरक्षण से जुड़े कुनबी
कुनबी, कृषि से जुड़ा एक समुदाय है, जिसे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की कैटेगरी में रखा गया है। कुनबी समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण लाभ का मिलता है। महाराष्ट्र कैबिनेट ने पिछले महीने फैसला किया था कि मराठवाड़ा क्षेत्र के उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे जिनके पास निजाम युग के रेवेन्यू और एजुकेशनल डॉक्यूमेंट्स मौजूद हैं, और जिनमें उन्हें कुनबी लिखा गया हो।

आरक्षण आंदोलन के हिंसक होने के बाद सरकार ने एक आदेश दिया, जिसमें संबंधित अधिकारियों से पात्र मराठा समुदाय के सदस्यों को नए कुनबी सर्टफिकेट जारी करने के लिए कहा गया। इसके बाद उन्हें ओबीसी कैटेगरी में रिजर्वेशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है।

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मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़ी 41 सालों की पूरी कहानी

आजादी के बाद मराठा आरक्षण के लिए पहला संघर्ष मजदूर नेता अन्नासाहेब पाटिल ने शुरू किया। उन्होंने ही अखिल भारतीय मराठा महासंघ की स्थापना की थी। 22 मार्च 1982 को अन्नासाहेब पाटिल ने मुंबई में मराठा आरक्षण समेत अन्य 11 मांगों के साथ पहला मार्च निकाला। उन्होंने कहा था कि अगर मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं मिला तो मैं सुसाइड कर लूंगा। हुआ भी यही, सरकार की अनदेखी से नाराज होकर उन्होंने 1982 में खुद को गोली मार ली थी। पढ़ें इस आंदोलन की पूरी कहानी…

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