UN की रिपोर्ट-भारत की जनसंख्या 144 करोड़ से ज्यादा: 77 साल में दोगुनी हुई; डिलिवरी के समय महिलाओं की मौत के मामले कम हुए

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नई दिल्ली9 मिनट पहले

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यूनाइटेड नेशन्स की हेल्थ एजेंसी यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड (UNFPA) की एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत की जनसंख्या पिछले 77 सालों में दोगुनी हो चुकी है।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2006-2023 के बीच 23% बाल विवाह हुए हैं, साथ ही डिलीवरी के समय होने वाली महिलाओं की मौतों की संख्या में कमी आई है।

144 करोड़ के पार पहुंची भारत की जनसंख्या

UNFPA की स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन 2024 रिपोर्ट इंटर वॉवन लाइव्स, थ्रेड्स ऑफ होप : एंडिंग इनिक्वालिटीज इन सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ एंड राइट्स के मुताबिक भारत की जनसंख्या 144.17 करोड़ पहुंच चुकी है।

भारत ने इस साल के शुरूआत में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन को पीछे छोड़ा था जिसकी आबादी 142.5 करोड़ है। भारत सरकार की तरफ से पिछली जनगणना 2011 में हुई थी जिसमें 121 करोड़ आबादी दर्ज की गई थी।

0-14 आयु वर्ग के लोगों का आबादी में एक चौथाई हिस्सा

रिपोर्ट के मुताबिक भारत की कुल आबादी का 24 प्रतिशत हिस्सा 0-14 वर्ष के लोगों का है। जबकि 15-64 साल के 64 फीसदी लोग भारत में निवास करते हैं।

भारत में पुरूषों की औसत आयु 71 वर्ष है वहीं महिलाओं की औसत आयु 74 वर्ष है।

सेक्सुअल हेल्थ में भारत 30 साल में सबसे बेहतर

UNFPA की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ 30 सालों के सबसे बेहतर स्तर पर है।

यही कारण है कि भारत में होने वाली डिलीवरी के दौरान होने वाली मौतों की संख्या में भी गिरावट आई है। दुनिया में हो रही ऐसी मौतों में भारत का हिस्सा 8 प्रतिशत है।

वहीं 2006-2023 के बीच हुए कुल विवाहों में 23 प्रतिशत बाल विवाह हैं। जिनमें लड़के और लड़की की उम्र 21 और 18 साल से कम थी।

दिव्यांग महिलाओं से यौन हिंसा का खतरा बढ़ा

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिव्यांग महिलाओं से यौन हिंसा का खतरा दिव्यांग पुरूषों की अपेक्षा 10 गुना अधिक है।

विकलांग, प्रवासी-शरणार्थी, अल्पसंख्यक, LGBTQIA+, एचआईवी पीड़ित और वंचित-दलित वर्गों की महिलाओं को अब भी यौन और प्रजनन स्वास्थ्य में जोखिम का सामना करना पड़ा रहा है।

स्वास्थ्य देखभाल पहुंच में सुधार का लाभ मुख्य रूप से धनी महिलाओं और उन जातीय समूहों से संबंधित लोगों को हुआ है जिनके पास पहले से ही स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच थी।

शारीरिक संबंधों के फैसलों में महिलाओं हावी पुरुष

रिपोर्ट में वैश्विक रूप से महिलाओं की यौन स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है कि लाखों महिलाएं और लड़कियां अभी प्रमुख स्वास्थ्य उपायों से वंचित हैं।

2016 के बाद से हर दिन 800 महिलाओं की बच्चे को जन्म देते समय मौत हो जाती हैं। आज भी एक चौथाई महिलाएं अपने पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने से इंकार नहीं कर सकती हैं।

संबंध बनाने वाली 10 में से 1 महिला आज भी गर्भनिरोधक उपायों के बारे में खुद निर्णय नहीं ले सकती। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा वाले 40% देशों में महिलाएं शारीरिक संबंधो का फैसले लेने में पुरूषों से पीछे हैं।